Sunday 2 August 2015

3rd AUGUST 2015 SHRAVAN SOMVAR VRAT KATHA

श्रावण सोमवार व्रत कथा

somvar vrat katha.wmv - YouTube

www.youtube.com/watch?v=Sm5kHkoguNU

Apr 25, 2011 - Uploaded by gkittug
Solah Somvar vrat katha. This should be recited every monday when U perform the fast for Shivji.

Somvaar Vrat Ki Katha - YouTube

www.youtube.com/watch?v=QNs7pIsOxVc

Oct 30, 2012 - Uploaded by sacredverses
Story of the Somvar Vrat (Monday fast) ... Shravan Me 16Somvar Vrat Mahtva, Katha, Shiv Puja Ki ...
शिव शक्ति की सोमवार व्रत कथा
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श्रावण सोमवार ी कथा के अनुसार अमरपुर नगर में एक धनी व्यापारी रहता था। दूर-दूर तक उसका व्यापार फैला हुआ था। नगर में उस व्यापारी का सभी लोग मान-सम्मान करते थे। इतना सबकुछ होने पर भी वह व्यापारी अंतर्मन से बहुत दुखी था क्योंकि उस व्यापारी का कोई पुत्र नहीं था।

दिन-रात उसे एक ही चिंता सताती रहती थी। उसकी मृत्यु के बाद उसके इतने बड़े व्यापार और धन-संपत्ति को कौन संभालेगा।
पुत्र पाने की इच्छा से वह व्यापारी प्रति सोमवार भगवान शिव की व्रत-पूजा किया करता था। सायंकाल को व्यापारी शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव के सामने घी का दीपक जलाया करता था।

उस व्यापारी की भक्ति देखकर एक दिन पार्वती ने भगवान शिव से कहा- 'हे प्राणनाथ, यह व्यापारी आपका सच्चा भक्त है। कितने दिनों से यह सोमवार का व्रत और पूजा नियमित कर रहा है। भगवान, आप इस व्यापारी की मनोकामना अवश्य पूर्ण करें।'

भगवान शिव ने मुस्कराते हुए कहा- 'हे पार्वती! इस संसार में सबको उसके कर्म के अनुसार फल की प्राप्ति होती है। प्राणी जैसा कर्म करते हैं, उन्हें वैसा ही फल प्राप्त होता है।'

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इसके बावजूद पार्वतीजी नहीं मानीं। उन्होंने आग्रह करते हुए कहा- 'नहीं प्राणनाथ! आपको इस व्यापारी की इच्छा पूरी करनी ही पड़ेगी। यह आपका अनन्य भक्त है। प्रति सोमवार आपका विधिवत व्रत रखता है और पूजा-अर्चना के बाद आपको भोग लगाकर एक समय भोजन ग्रहण करता है। आपको इसे पुत्र-प्राप्ति का वरदान देना ही होगा।'

पार्वती का इतना आग्रह देखकर भगवान शिव ने कहा- 'तुम्हारे आग्रह पर मैं इस व्यापारी को पुत्र-प्राप्ति का वरदान देता हूं। लेकिन इसका पुत्र 16 वर्ष से अधिक जीवित नहीं रहेगा।'

उसी रात भगवान शिव ने स्वप्न में उस व्यापारी को दर्शन देकर उसे पुत्र-प्राप्ति का वरदान दिया और उसके पुत्र के 16 वर्ष तक जीवित रहने की बात भी बताई।

भगवान के वरदान से व्यापारी को खुशी तो हुई, लेकिन पुत्र की अल्पायु की चिंता ने उस खुशी को नष्ट कर दिया। व्यापारी पहले की तरह सोमवार का विधिवत व्रत करता रहा। कुछ महीने पश्चात उसके घर अति सुंदर पुत्र उत्पन्न हुआ। पुत्र जन्म से व्यापारी के घर में खुशियां भर गईं। बहुत धूमधाम से पुत्र-जन्म का समारोह मनाया गया। 

व्यापारी को पुत्र-जन्म की अधिक खुशी नहीं हुई क्योंकि उसे पुत्र की अल्प आयु के रहस्य का पता था। यह रहस्य घर में किसी को नहीं मालूम था। विद्वान ब्राह्मणों ने उस पुत्र का नाम अमर रखा।

जब अमर 12 वर्ष का हुआ तो शिक्षा के लिए उसे वाराणसी भेजने का निश्चय हुआ। व्यापारी ने अमर के मामा दीपचंद को बुलाया और कहा कि अमर को शिक्षा प्राप्त करने के लिए वाराणसी छोड़ आओ। अमर अपने मामा के साथ शिक्षा प्राप्त करने के लिए चल दिया। रास्ते में जहां भी अमर और दीपचंद रात्रि विश्राम के लिए ठहरते, वहीं यज्ञ करते और ब्राह्मणों को भोजन कराते थे।

लंबी यात्रा के बाद अमर और दीपचंद एक नगर में पहुंचे। उस नगर के राजा की कन्या के विवाह की खुशी में पूरे नगर को सजाया गया था। निश्चित समय पर बारात आ गई लेकिन वर का पिता अपने बेटे के एक आंख से काने होने के कारण बहुत चिंतित था। उसे इस बात का भय सता रहा था कि राजा को इस बात का पता चलने पर कहीं वह विवाह से इनकार न कर दें। इससे उसकी बदनामी होगी।

वर के पिता ने अमर को देखा तो उसके मस्तिष्क में एक विचार आया। उसने सोचा क्यों न इस लड़के को दूल्हा बनाकर राजकुमारी से विवाह करा दूं। विवाह के बाद इसको धन देकर विदा कर दूंगा और राजकुमारी को अपने नगर में ले जाऊंगा।

वर के पिता ने इसी संबंध में अमर और दीपचंद से बात की। दीपचंद ने धन मिलने के लालच में वर के पिता की बात स्वीकार कर ली। अमर को दूल्हे के वस्त्र पहनाकर राजकुमारी चंद्रिका से विवाह करा दिया गया। राजा ने बहुत-सा धन देकर राजकुमारी को विदा किया।

अमर जब लौट रहा था तो सच नहीं छिपा सका और उसने राजकुमारी की ओढ़नी पर लिख दिया- 'राजकुमारी चंद्रिका, तुम्हारा विवाह तो मेरे साथ हुआ था, मैं तो वाराणसी में शिक्षा प्राप्त करने जा रहा हूं। अब तुम्हें जिस नवयुवक की पत्नी बनना पड़ेगा, वह काना है।'

जब राजकुमारी ने अपनी ओढ़नी पर लिखा हुआ पढ़ा तो उसने काने लड़के के साथ जाने से इनकार कर दिया। राजा ने सब बातें जानकर राजकुमारी को महल में रख लिया। उधर अमर अपने मामा दीपचंद के साथ वाराणसी पहुंच गया। अमर ने गुरुकुल में पढ़ना शुरू कर दिया।

जब अमर की आयु 16 वर्ष पूरी हुई तो उसने एक यज्ञ किया। यज्ञ की समाप्ति पर ब्राह्मणों को भोजन कराया और खूब अन्न, वस्त्र दान किए। रात को अमर अपने शयनकक्ष में सो गया। शिव के वरदान के अनुसार शयनावस्था में ही अमर के प्राण-पखेरू उड़ गए। सूर्योदय पर मामा अमर को मृत देखकर रोने-पीटने लगा। आसपास के लोग भी एकत्र होकर दुःख प्रकट करने लगे।

मामा के रोने, विलाप करने के स्वर समीप से गुजरते हुए भगवान शिव और माता पार्वती ने भी सुने। पार्वतीजी ने भगवान से कहा- 'प्राणनाथ! मुझसे इसके रोने के स्वर सहन नहीं हो रहे। आप इस व्यक्ति के कष्ट अवश्य दूर करें।'

भगवान शिव ने पार्वतीजी के साथ अदृश्य रूप में समीप जाकर अमर को देखा तो पार्वतीजी से बोले- 'पार्वती! यह तो उसी व्यापारी का पुत्र है। मैंने इसे 16 वर्ष की आयु का वरदान दिया था। इसकी आयु तो पूरी हो गई।'

पार्वतीजी ने फिर भगवान शिव से निवेदन किया- 'हे प्राणनाथ! आप इस लड़के को जीवित करें। नहीं तो इसके माता-पिता पुत्र की मृत्यु के कारण रो-रोकर अपने प्राणों का त्याग कर देंगे। इस लड़के का पिता तो आपका परम भक्त है। वर्षों से सोमवार का व्रत करते हुए आपको भोग लगा रहा है।' पार्वती के आग्रह करने पर भगवान शिव ने उस लड़के को जीवित होने का वरदान दिया और कुछ ही पल में वह जीवित होकर उठ बैठा।

शिक्षा समाप्त करके अमर मामा के साथ अपने नगर की ओर चल दिया। दोनों चलते हुए उसी नगर में पहुंचे, जहां अमर का विवाह हुआ था। उस नगर में भी अमर ने यज्ञ का आयोजन किया। समीप से गुजरते हुए नगर के राजा ने यज्ञ का आयोजन देखा।

राजा ने अमर को तुरंत पहचान लिया। यज्ञ समाप्त होने पर राजा अमर और उसके मामा को महल में ले गया और कुछ दिन उन्हें महल में रखकर बहुत-सा धन, वस्त्र देकर राजकुमारी के साथ विदा किया।

रास्ते में सुरक्षा के लिए राजा ने बहुत से सैनिकों को भी साथ भेजा। दीपचंद ने नगर में पहुंचते ही एक दूत को घर भेजकर अपने आगमन की सूचना भेजी। अपने बेटे अमर के जीवित वापस लौटने की सूचना से व्यापारी बहुत प्रसन्न हुआ।

व्यापारी ने अपनी पत्नी के साथ स्वयं को एक कमरे में बंद कर रखा था। भूखे-प्यासे रहकर व्यापारी और उसकी पत्नी बेटे की प्रतीक्षा कर रहे थे। उन्होंने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि यदि उन्हें अपने बेटे की मृत्यु का समाचार मिला तो दोनों अपने प्राण त्याग देंगे।

व्यापारी अपनी पत्नी और मित्रों के साथ नगर के द्वार पर पहुंचा। अपने बेटे के विवाह का समाचार सुनकर, पुत्रवधू राजकुमारी चंद्रिका को देखकर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। उसी रात भगवान शिव ने व्यापारी के स्वप्न में आकर कहा- 'हे श्रेष्ठी! मैंने तेरे सोमवार के व्रत करने और व्रतकथा सुनने से प्रसन्न होकर तेरे पुत्र को लंबी आयु प्रदान की है।' व्यापारी बहुत प्रसन्न हुआ।

सोमवार का व्रत करने से व्यापारी के घर में खुशियां लौट आईं। शास्त्रों में लिखा है कि जो स्त्री-पुरुष सोमवार का विधिवत व्रत करते और व्रतकथा सुनते हैं उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

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Sawan Somvar 2015: Beautiful Blessed Mondays

We, at MyKundali, present you the dates of Sawan Somvar Vrat in 2015. Some days of the year are full of divinity and holiness, Sawan Somvar is one of them. Don’t let your Savan in 2015 go in vain. Let’s read to know how to make the best out of the holy mondays of Sawan in 2015.
 We will going to worship Lord Shiva during Sawan Somvars in 2014..
Sawan or Shravan month is the fifth month according to the Hindu Calendar . The month of Shravan or Savan got its name from the Nakshatra (constellation) Shravan, which appears in the sky during this month. We are going to see this constellation again in the month of Savan in 2015.
Refer to the table below to know the dates of month Shravan or Sawan in 2015 below:

Sawan Somvar Vrat Dates For Rajasthan, U.P., M.P., Himachal Pradesh, Punjab & Bihar

EventDayDate
First Day Of Sawan MonthSaturday
August 01
Sawan Somvar Vrat 2015MondayAugust 03
Sawan Somvar Vrat 2015
Monday
August 10
Savan Somvar Vrat 2015MondayAugust 17
Sawan Somvar Vrat 2015MondayAugust 24
Last Day Of Sawan Month
SaturdayAugust 29
To go through the Sawan Somwar Vrat 2015 dates for West & South dates, refer to the below given table.

Sawan Somvar Vrat Dates For West & South India

EventDayDate
First Day Of Sawan MonthSaturdayAugust 15
Sawan Somvar Vrat 2015Monday
August 17
Sawan Somvar Vrat 2015MondayAugust 24
Savan Somvar Vrat 2015MondayAugust 31
Savan Somvar Vrat 2015
Monday
September 07
Last Day Of Sawan MonthSaturdaySeptember 12
The whole Savan month is considered as highly auspicious, since every day of the month Savan holds a special significance. The whole month is blessed with the blessings of Lord Shiva and some other lords such as Lord Vishnu and Lord Krishna. We observe some really auspicious occasions in the month of Savan such as Raksha Bandhan , Hariyali Teej, and Nag Panchami.
As we are talking about the month of Savan and its main deity Lord Shiva, how can we forget to talk about Savan Somvars. We know that the whole month of Savan is having a special significance for worshiping Lord Shiva. The auspicious results of worshiping Lord Shiva increases upto many times in the holy month of Savan.
Monday or Somvar being the special day of Lord Shiva, the auspiciousness of Somvars in the month of Savan increases upto many folds. Special fast and Pujas are performed by the devotees to please Lord Shiva in the month of Savan.

What Is Sawan Somvar?

Savan Somvars hold a great significance because they are the special days of Lord Shiva in the special holy month. Highly auspicious results can be obtained by worshiping Lord Shiva on Savan Somvars every year.
The starting of fasts of Solah (sixteen) Somvars is also considered as highly auspicious in the month of Savan. Reciting Solah Somvar Vrat Katha is considered highly auspicious for women. Savan Somvar Vrat is mainly categorized into three categories, these are:
  • Savan Somvar : Fast of monday only in the month of Savan
  • Solah Somvar : Beginning the fast of Solah (sixteen) Somvars, in the month of Savan
  • Somya Pradosh : Fast observed till the evening during Pradosham
Lord Shiva and Maa Parvati are the two main deities worshiped during the month of Savan. Devotees offer their favorite offerings to please the deities and to receive their blessings. These offerings include Bel Patra, Datura, rose or marigold flowers and much more. Worship and offer Lord Shiva his favorite offerings to receive his blessings during Sawan in 2015.

Sawan 2015: How To Perform Sawan Somvar Vrat?

Every devotee has to keep certain points in mind while performing the fast for Sawan Somvars. These points will prove to be beneficial in getting the maximum benefit of the Sawan Somvar Vrat.
  1. Get up early in the morning and perform all the morning rituals like bathing, wearing clean clothes, etc.
  2. Go to the nearest temple and bathe the Shiva Lingam with water, milk, or the mix of both.
  3. Clean the Puja Sthana (place to perform Puja) at home, establish the idol or picture of Lord Shiva and Maa Parvati.
  4. Take the Sankalp (pledge) that you will perform all the Somvar Vrat with full faith and devotion. The Sankalp can be taken by reciting the Mantra: ‘ मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये'.
  5. Take the name of Lord Shiva and perform meditation by reciting the following Mantra: ध्यायेन्नित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्‌। पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाद्यं विश्ववंद्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्‌ ॥
  6. In the evening, take bath or clean your hands and feet properly for performing Puja once again.
  7. Clean the Puja Sthan (place for performing Puja) and worship Lord Shiva and Maa Parvati, by reciting the Mantra: ‘ओम नम: शिवाय’
  8. Recite or listen to Somvar Vrat Katha, otherwise the fast is considered as incomplete.
  9. Recite Aarti with other family members or devotees.
  10. Distribute Prasad (sacred food) among all the devotees or family members.
  11. The devotees can now consume the food for fast (Satvik Khana).
Keep all these points in mind and perform Sawan Somvar Vrat for obtaining maximum benefits.

Savan 2015: Auspicious Results Of Sawan Somvar Vrat

After discussing that how to perform Sawan Somvar Vrat, we should also not miss out the auspicious results that can be obtained by observing this very auspicious Savan Somvar Vrat every year and during Savan in 2015.
  1. All the difficulties and tensions of life will disappear.
  2. Lord Shiva blesses unmarried girls with desired husband.
  3. Lord Shiva blesses married ladies with long life and well being of husband and sons.
  4. Lord Shiva fulfills all the desires and wishes of his devotees.
  5. Lord Shiva blesses his devotees with wealth and prosperity.
Lord Shiva is so kind toward his devotees that anyone can easily please him by showing love and gratitude, thus he is also known as Bholenath. Let’s now talk about another very important day of Savan that is Sawan Shivaratri.

Sawan 2015: Sawan Shivaratri

Sawan Shivratri is also a major part of the month Savan. Its celebrations are observed by devotees with full faith and devotion, as it falls in the special month of Savan. It is the second most important Shivaratri after Maha Shivratri . It is also believed that if Sawan Shivaratri falls on the day of monday, its significance increases up to many times. Because then, the three auspicious events related to Lord Shiva fall on the same day that are the month Savan, Sawan Somvar and Shivaratri.

Legend Of Savan

Let’s discuss the legend of month Savan, before performing the Sawan Somvar Vrat in 2015.
The legend of Savan is related to Lord Shiva. During the period of Samudra Manthan, lots of things came out which were equally distributed among the gods and demons. Some undesirable items also came out from the Manthan, which were not accepted by any of the god or demon, such as Halahal (poison). This poison or Vish/Halahal could have some really adverse effects on the living beings. The whole world could have finished or adversely affected by Halahal.
For saving the world from these ill effects of Halahal, Lord Shiva consumed the whole Halahal and stored it in his throat. Due to this reason, the color of his neck turned blue and he was attributed with the name Neelkantha. This whole event took place in the month of Savan, which increased the significance of worshiping Lord Shiva in the month of Savan.

Beautiful Month Of Savan

The month of Sawan is considered as the most beautiful month in terms of weather changes. Every year, some really pleasant changes are encountered by nature in itself in the month of Sawan.
The sky fills with clouds, the fields fill with green grass and beautiful flowers. Rainy season starts in the month of Sawan or Shravan and it seems like the whole universe is worshiping Lord Shiva by pouring water on him in the form of rain.
The whole world feels relieved in the month of Sawan with the cool breezes and rains, after the hot season of summers. It seems like all the birds and insects come out to greet Lord Shiva. Water level also increases in the month of Savan. Nature regains its beauty in the month of Savan.
Every year, the pleasant weather and divinity come along in the month of Sawan. We are going to encounter these beautiful changes of nature filled with the blessings of Lord Shiva again during Sawan in 2015.
If you also want to gain auspiciousness, wealth, and prosperity in life, worship Lord Shiva during Sawan in 2015 and observe all the Sawan Somvar Vrats in 2015.

Prithvi

February 18th, 2008 by sabrina
Prithvi is the Hindu Goddess of the Earth. She is the consort of Dyaus, God of the Sky, and the mother of Indra. In one myth, a demon took Prithvi to the bottom of the cosmic ocean and held her captive there. Varaha, an avatar of the God Vishnu in the form of a boar, rescued her and restored her to her rightful place (that’s her on his shoulder in the picture). Prithvi sometimes takes the form of a cow, and the first milk from every cow is offered to her. Her name means “earth,” and is also seen as Prthvi orPrthivi. Other names include DhraDharti,Dhrithri (that which holds everything),Prithvi Tattwa (the essence of the element earth), and Prithvi Mata(Mother Earth).
- See more at: http://www.mykundali.com/festival/savan/sawansomvarvrat.asp#sthash.6HKoh0Uw.dpuf
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